रविवार, 21 जुलाई 2013

बैठे ठाले - ५

दुनिया के बड़े भू-भाग में केवल सर्दी और गर्मी दो ही मौसम होते हैं, बारिश तो बीच बीच में होती रहती है, पर हमारे देश में छ:ऋतुएँ और तीन मौसम, सर्दी, गर्मी और बरसात हर साल घूम फिर कर आते रहते हैं. प्रकृति के इन नियमों के अनेक लाभ हैं, लेकिन कभी कभी अति होने पर हानियाँ भी भयंकर होती हैं. हमने हाल में प्रकृति का ये तांडव प्रत्यक्ष रूप से केदारनाथ धाम व अन्य हिमालयी क्षेत्रों में देखा है.

अब इन दिनों बरसात का मौसम है. तपती गर्मी से निजात मिल गयी है. पेड़-पौधे, बेल-लता, अनाज-घास, सब में नवजीवन व हरियाली आ गयी है. कीट पतंगों से लेकर जलचर, नभचर, व थलचर जीव-जंतुओं में तरुणाई व उमंग का संचार हो गया है. कुल मिलाकर ये प्रकृति की अल्हड़ अंगड़ाई सी है.

बारिश के पानी में नाइट्रोजन घुला रहता है, जो बड़े पेड़ों को भी गहरे तक जाकर पोषण देता है. पहाड़ों की नयनाभिराम छटा इसी बरसात की वजह से बनी होती है. वातावरण में नमी तथा उमस होने से कीट-पतंगों और सभी पशु-पक्षियों के प्रजनन का वेग होता है और उनके नवजातों के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध रहता है. दृष्टिगोचर नहीं रहने वाले वायरस व बैक्टीरिया भी इस मौसम में बदहवास बढ़ जाते हैं, जो नाना प्रकार के रोग हम मनुष्यों में भी पैदा कर जाते हैं. चर्म रोग, उदर रोग तथा नेत्र रोग आम तौर पर संक्रमित होते हैं. इसलिए इनसे बचाव के प्रति सावधानियां बरतनी चाहिए.

बाग बगीचों में तितलियां व उड़ने वाली अनेक तरह की जंगली मक्खियाँ हरी पत्तियों या फल-सब्जियों पर अपने असंख्य अण्डे छोड़ जाती हैं. ये जंगली मक्खियाँ फल-सब्जियों पर इंजेक्शन की तरह अपने अण्डे डाल देती हैं. अण्डों से निकलकर उनके बच्चे अन्दर ही अन्दर पोषित होते रहते हैं. देर से पकने वाले इस मौसम के आम, अमरुद, सेव-नाशपाती और आड़ू के फल तथा सब्जियों में टमाटर, बैगन आदि इनके आसान आश्रय होते हैं. हरी पत्तियों की सब्जियों को इसीलिए इस मौसम में वर्जित कहा गया है. आलकल इन कीटों से बचने के लिए काश्तकार कीटनाशक रसायन का स्प्रे करते हैं. इस विषय में विचारणीय बात यह भी है कि इन पेस्टिसाइड्स का अंधाधुंध प्रयोग बहुत खतरनाक होता है. फल-सब्जियों को खाने से पहले स्वच्छ जल से खूब धो लेना जरूरी होता है.

स्वच्छ पीने के पानी के बारे में आजकल शहरी लोगों में बहुत जागरूकता है, पर हमारे गाँव-देहात में बहुत बुरा हाल होता है. नदियों का पानी इन दिनों बुरी तरह प्रदूषित रहता है. अन्य जलस्रोतों का पानी भी पीने के लिए सुरक्षित नहीं होता है. यह एक व्यापक विषय है, जिस पर समाज व प्रशासन दोनों को बहुत काम करना है.

सब मिलाकर मौसम का आनन्द लेने के साथ साथ इसकी बुरे पक्ष से बचाव करते रहना चाहिए.
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3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (21-07-2013) को चन्द्रमा सा रूप मेरा : चर्चामंच - 1313 पर "मयंक का कोना" में भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. कीटनाशक घुलकर तो पानी में ही मिल जाता है, प्रभावित भी करेगा ही।

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