शनिवार, 14 जुलाई 2012

चुहुल -२७

(१) 
बस चलाने से पहले कंडक्टर बस के अन्दर यात्रियों के टिकट काट रहा था. जब अपने एक परिचित को उपकृत करने के लिए उसने आधा टिकट काटा तो एक अन्य यात्री ने इसका कारण पूछ डाला. कंडक्टर ने मसखरी करते हुए कहा, “देखते नहीं, उसने हाफ पैन्ट पहन रखी है. हाफ पैन्ट पर हाफ टिकट होता है. आपने फुल पैन्ट पहन रखी है, फुल टिकट लगेगा.”
यात्री ने इस बात पर कहा, “अगर मैं पैन्ट ना पहनूं तो आप मुझे फ्री ले जायेंगे क्या?”

(२) 
एक महिला, सामान के कई अददों के साथ रेलवे प्लेटफार्म पर बैठी थी. कुली आया, पूछने लगा, “कुली चाहिए?”
महिला बोली, “नहीं चाहिए. मेरे पति मेरे साथ में हैं”

(३) 
एक देहाती मुसाफिर डबलडेकर बस मे ड्राईवर की सीट के पास आकर बैठ गया और बतियाने लगा. ड्राईवर का ध्यान बंट रहा था अत: उसने मुसाफिर से कहा कि “ऊपर वाले मंजिल में चले जाओ, हवा भी खूब मिलेगी और बाहर के नज़ारे भी देखते जाना.”
मुसाफिर ऊपर की मंजिल पर चढ गया, लेकिन थोड़ी देर बाद लौट आया. ड्राईवर ने पूछा, “क्यों क्या हुआ?” मुसाफिर बोला, ”वहाँ तो डर लगता है, कोई ड्राईवर ही नहीं है”

(४) 
एक महिला ने अपनी शादी वाली अंगूठी गलत अंगुली में पहन रखी थी. उसकी सहेली ने देखा तो पूछ ही डाला, “बहन जी ये शादी वाली अंगूठी आपने गलत अंगुली मे क्यों पहन रखी है?”
वह महिला बड़े असंतुष्ट भाव से मुँह बिगाडते हुए बोली, “क्योंकि मेरी शादी गलत आदमी से हुई है.” 

 (५) 
पाकिस्तान के स्कूल/मदरसों में बच्चों के मन मस्तिष्क पर भारत और भारत वासियों के बारे में इतना सांप्रदायिक जहर भर दिया जाता है कि अधिकाँश लोगों की मानसिकता भारत विरोधी हो जाती है. इसका एक उदाहरण तब सामने आया जब पाकिस्तान के लिए लोकतांत्रिक संविधान बनाने की बात उनके संसद मे आई.
एक गणमान्य सदस्य ने संविधान सभा का गठन करने का विरोध इन शब्दों मे किया, “इसके लिए इतना रुपया और समय बर्बाद करने की क्या जरूरत है, हिन्दुस्तान का संविधान मंगवा लो, जहाँ ‘हाँ’ लिखा है वहाँ ‘ना’ लिख दो और जहाँ ‘ना’ लिखा है वहाँ ‘हाँ’ लिख दो.”

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7 टिप्‍पणियां:

  1. @इतना रुपया और समय बर्बाद करने की क्या जरूरत है, हिन्दुस्तान का संविधान मंगवा लो, जहाँ ‘हाँ’ लिखा है वहाँ ‘ना’ लिख दो और जहाँ ‘ना’ लिखा है वहाँ ‘हाँ’ लिख दो.”

    व्हाट ए आईडिया सर जी।
    हा हा हा हा

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  2. लास्ट वाला बैस्टेस्ट बल्कि बैस्टेस्टमोस्ट :)

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  3. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रवृष्टि कल दिनांक 16-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-942 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. हास और परिहास से, मिलता है आनन्द।
    हो जाती लम्बी उमर, सूत्र यही निर्द्वन्द।।

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  5. हँसने और हसाने के,सुंदर लगे हंसगुल्ले
    पढकर मजा आ गया,अब खाते रसगुल्ले,,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

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