मंगलवार, 26 जुलाई 2011

मेरा स्वार्थ

मैं मेहनत करता हूँ.
खूब पढ़ता हूँ
अपने बच्चों को 
अच्छी बातों का ज्ञान करता हूँ 
ताकि मेरे हद तक समाज सुधरे .
      मैं समाज मैं और भी बहुत काम करता हूँ.
साफ़ रहता हूँ
साफ़ रहने की बात करता हूँ 
राजनीति में दिलचस्पी लेता हूँ
कुछ सुनता हूँ
कुछ सुनाता हूँ.
      मैं राष्ट्र के अन्दर हूँ
राष्ट्र का एक अटूट हिस्सा हूँ.
फिर भी मैं सोचता हूँ 
मेरे बिना भी 
ये समाज व् राष्ट चलते रहेंगे .
        इसमें भी कोई संदेह नहीं 
मैं समाज का एक आदर्श हूँ 
या अभी तक नहीं हूँ-
तो बन साकता हूँ.
         इसलिए मैं गौरव करता हूँ की,
          राष्ट्र को मेरी आवश्यकता है.
इन सब के बावजूद मुझको लगता है 
समाज की राष्ट्र की 
और व्यवस्थाओं की
आवश्यकता मुझको अधिक है.
           क्योंकि मेरे अनेक स्वार्थ हैं.
उनमें सबसे बड़ा स्वार्थ  रोटी का है 
जो मेरे कर्तव्य ,मेरी मेहनत,मेरे ज्ञान-
और विचार शक्ति से ज्यादा वजन रखता है.
                    ****

1 टिप्पणी: